when Sachin Tendulkar smashed 140 not out against Kenya at the County Ground in Bristol. The little master put behind the sorrow of losing his father a few days before the game, and scored a crucial hundred to keep India afloat in the World Cup. The year 1999 was a tough one for Tendulkar. Earlier in the season, his back had given way during the remarkable 136 against Pakistan in Chennai. Despite the pain, Tendulkar arrived in England for the World Cup. “Every time I trained, my back would get stiff and I would need a cooling-off period for it to settle down,” Tendulkar wrote in his book Playing It My Way.
सचिन तेंदुलकर के पिता रमेश तेंदुलकर का निधन हो जाने के कारण तेंदुलकर को भारत वापस आना पड़ा. इसकी वजह से वह जिंबाब्वे के खिलाफ मैच में नहीं खेल सके और भारत को यह मैच गंवाना पड़ा. भारतीय टीम इस समय तक एक भी मैच नहीं जीत सकी थी. भारतीय टीम टूर्नामेंट से बाहर होने के कगार पर थी ऐसे में सचिन ने देश के लिए खेलने का निर्णय लिया और वापस इंग्लैंड आए. केन्या के खिलाफ अगले मुकाबले में सचिन ने पिता की मौत का दर्द झेलने के बावजूद 140 रनों की पारी खेलते हुए भारत को टूर्नामेंट की पहली जीत दिलाई. सचिन की इस पारी को किसी ऐतिहासिक पारी में नहीं गिना जाता है क्योंकि यह शतक केन्या के कमजोर आक्रमण के खिलाफ लगाया गया था. मगर भारतीयों की नजर में यह पारी सचिन तेंदुलकर के करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक थी.
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